Sunday, December 3, 2017

बहुत दिन बाद



बहुत दिन बाद लिख रहे हैं. शुक्र है लिख तो रहे हैं ! वैसे ख़याल तो खाफी आते रहते हैं मन में लेकिन अब टाइम कहाँ. टाइम मिलता भी है तो सही समय पे सही इमोशंस को लिख पाना मुश्किल हो जाता है. आज इमोशन भी है और टाइम निकाल लिए हैं. इसलिए लिख रहे हैं. हिंदी में बात समझाना और कहना आसान होता है. शायद अपने देश में नहीं हैं इसलिए हिंदी का भूत आया है आज, लेकिन चलो कम से कम समझ तो आया इसी बहाने. शायद इसलिए भी हिंदी में लिख रहे हैं ताकि कुछ लोग को भावना खुद से समझ आ जाएगा और किसी से अंग्रेजी का मतलब पूछने का जरुरत नहीं पड़ेगा. नहीं, उतना अच्छा भी अंग्रेजी नहीं लिखते हैं लेकिन भावना समझाना तो जरुरी है न. वैसे जर्मन के बीच तो हम खुद को अंग्रेजी का तीस मार खान समझ ही सकते हैं. खाना अभी नहीं खाये हैं, लिखने के बाद ही खाएंगे. इससे दो बातें होंगी, पहला तो भूख लगी होगी तो जल्दी लिख के ख़तम कर पाएंगे. और दूसरा की शायद भूख से घर की याद में और इमोशनल हो जाएं और कुछ और भी अच्छा लिख दें!

पहली बार नहीं है जब घर से बहार निकले हैं. मन तो आज भी वही रहता है की नौकरी अपने शहर में ही लग जाये. लेकिन संभव नहीं है इसलिए निकल गए. अब जब निकल ही गए तो क्या पटना क्या ओडिशा और क्या जर्मनी. सभी तो विदेश ही है. 1o वीं के बाद से ही निकल गए, लेकिन रोते आज भी हैं. शायद सब ऐसे ही होंगे.

बेवकूफी अभी भी भरी हुई है. पहली बार इंटरनेशनल फ्लाइट पकर रहे थे. ध्यान ही नहीं रहा की बोर्डिंग पास बनवाने के बाद और इमीग्रेशन जाँच से पहले पापा से जाकर शीशे से देख कर मिलना है. अंदर जाँच के लिए चले आये तब ध्यान आया की बेवकूफी कर दिए. या फिर शायद वापस मुर कर देखना ही नहीं चाहते थे. शायद फिर जाने का मन ना करे! अम्मा (दादी) ने एक ही बात हमेशा सिखाया है. गायत्री मंत्र. बेवक़ूफ़ इतने हैं की आज गुरूद्वारे में भी जाते हैं तो गायत्री मंत्र ही पढ़ते हैं. या फिर शायद अम्मा यही बताना चाह रही थी की यही सबसे बड़ा मंत्र है. जब प्लेन धरती को छोड़ रहा था तब गायत्री मंत्र ही पढ़ रहे थे. लेकिन कहे न, अब तो सब विदेश ही है न.

सुन्दर तो बहुत है. मतलब कहीं भी खड़े हो जाते हैं तो बढ़िया ही फोटो आ जाता है. गन्दगी नही है और हवा साफ़ है. लेकिन आके पता चला की अब हमहि अपने देश को रिप्रेजेंट कर रहे हैं. इसलिए कुछ आदतों को छोड़ना पड़ा और कुछ नयी आदतों को अपनाना. कौन अपने यहां आते जाते राही को हैलो बोलता है? लेकिन यहां पे बोलते हैं. शायद लोग कम हैं इसलिए. पता नहीं ये चीज़ अंदर से कितना खोखला है. लेकिन अब जो है सो है. दुःख थोड़ा सा है की कोई बिहारी नहीं मिला. थोड़ा अच्छा लगता. बहुत सारी नयी बातें पता चली. बहुत कम लोगों को पता होगा की जर्मन भासा संस्कृत से इंस्पायर्ड है. यहां तक की जर्मन लोगों ने विश्व युद्ध के समय संस्कृत में लिखी वेदों से टेक्नोलॉजी को बनाया था. और इतिहास गवाह है की जर्मन टेक्नोलॉजी उस समय सबसे उम्दा थी. आज भी है.

दोस्ती हुई. कुछ दोस्त घर पे आके खाना खाये. उनको बनाना नहीं आता था. इसलिए समझ लीजिये की भगवान् ही होंगे हम उनके लिए अगर घरेलु खाना बना कर खिलाएं. खाना खा कर बोले की भाई तुम तो बहुत अच्छा खाना बनाते हो! खाना तो सबसे अच्छा माँ बनाती है. हमारी तो मज़बूरी है. अब वो लोग भी खुद से बना लेते हैं.

उन दोस्तों की तरह मेरा भी वैसा ही हाल है. पहले कभी भी लंगर में नहीं खाये हैं. हमेशा यही सोचते थे की फ्री का खाना अच्छा नहीं होगा. हम पैसा देकर और अच्छा खाना खाएंगे. बताइये, आज लंगर खाने गुरुद्वारा भी पहुंच गए! खाना अच्छा रहता है. टेस्टी कहने में भी नहीं झिझक होगा हमको. सिख़ धर्म में प्रसाद हाथ जोर कर लेते हैं. लंगर में जब रोटी मिलता है तो प्रसाद की तरह उसको भी हाथ जोर कर ही लिया जाता है. जब हाथ जोर कर रोटी लेते हैं तो थोड़ा आंसू आ जाता है, सोचते हैं इसी के लिए तो आये हैं. हफ्ता भर चावल खाके मन ऊब जाता है. रोटी खाके अच्छा लगता है. लेकिन जल्द ही सीख लेंगे रोटी बनाना भी.

पढाई बहुत अच्छा है यहां पे. नहीं, पढ़ाने के ढंग की बात नहीं कर रहे हैं, पढाई की बात कर रहे हैं. खुद से कमा के खर्च करने का मन था. अब तो छोटा पार्ट टाइम नौकरी भी मिल गया है. कुछ सौख है पूरा करेंगे.

अब भूक ज्यादा बढ़ गया है. घर की याद से सिर्फ अब पेट नहीं भरने वाला. राजमा बनाये हैं. चावल बनाना बाकी है. बगल के दुकान में बासमती चावल ख़तम है, इसलिए मज़बूरी में मोटा वाला चावल लाये हैं जिसका नाम नहीं पता है हमको. शायद उसना बोलते हैं. पसंद नहीं है मोटा चावल लेकिन फिर कल लंगर भी तो है! इतना तो चलता है.

उदास नहीं हैं, खुश हैं. देखिये ये तस्वीर:










3 comments:

  1. waise ek secret btate hain tumko hum bhi delhi me the tab langar me khaye hain bahot baar but yha pe pas me bada gurudwara nahi hai to nai ja pate
    hotel ke khane me kabhi ghar wala bat nai hota aur mre hath ke khane me to bilkul bhi gharwala bat nai hai..
    aur gharwalo ke lie bas itna hi wo kehte hain na kuch paane ke lie bahot kuch khona padta hai
    *tere hi lie tujh se hun judaa manjilein kaha bin hue fanaaa *
    to sangharsh to babu karna hi padega jeewan me uske bina kuch milega bhi nai ....aur life me kuch dukh na ho to life bhi boring ho jati hai
    even ecv recording shows a straight line wen u r dead ..
    so yes stand up ...show up ....celebrate n participate in each moment of ur life .. and study :) ban jao wo jo ban na ...
    khoob sari dua :)

    ReplyDelete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर जगह है। तुम्हारा ब्लॉग उससे भी अच्छा है। अपने परिवार और देश का नाम बढ़ाओ। अनेक शुभकामनायें और आशीर्वाद।

    ReplyDelete